ऐसे कभी रोशनी का लेने लगा मज़ा, दौड़ता आ जाए अँधेरा, कभी साये, थो कभी घनघोर
और जब घेरे हो बेआस अंधकार में, नूर बहुत देर से पधारे, या मीलों दूर रह जाए
ऐसे कभी रोशनी का लेने लगा मज़ा, दौड़ता आ जाए अँधेरा, कभी साये, थो कभी घनघोर
और जब घेरे हो बेआस अंधकार में, नूर बहुत देर से पधारे, या मीलों दूर रह जाए