दिया तुमने इतना ज्यादा, फिर भी सूना लगे क्यों रिश्ता हमारा
दिया हमने भी अपना सारा, फिर क्यों भटकता पाऊँ, अक्सर नज़र तुम्हारा
Kavitha, Love, Marriage, Shayri
Kavitha, Love, Marriage, Shayri
दिया तुमने इतना ज्यादा, फिर भी सूना लगे क्यों रिश्ता हमारा
दिया हमने भी अपना सारा, फिर क्यों भटकता पाऊँ, अक्सर नज़र तुम्हारा