‘मैं’ और ‘तुम’, लफ्ज़ हैं ये, कितने खोखले और अकेले
‘हम’ की पनाह अगर मिल जाए इन्हे, सफर सुहाना कोई शुरू हो जाये
Analysis, Kavitha, Love, Marriage, Shayri
Analysis, Kavitha, Love, Marriage, Shayri
‘मैं’ और ‘तुम’, लफ्ज़ हैं ये, कितने खोखले और अकेले
‘हम’ की पनाह अगर मिल जाए इन्हे, सफर सुहाना कोई शुरू हो जाये