ख़ामोशी तेरे बातों में, तेरे नजर की चमक में
लाख छुपाना मगर, मुझे है ये पता
नाराज़गी तेरे कदमों में, तेरे गरम सांसों में
दबाके रखना मगर, मुझे है ये एहसास

इजाजत लिए बिना, आ जाऊं मैं गर हवा कोई बनकर
और लेकर जाऊं तुझे दबे चाहतों के दूर उस पार
उठा के मेरे बाहों में
लेके तेरा हाथ मेरे हाथ में
करके तुझे मेरे पलकों के हवाले
दिखाऊँ तुझे मस्त नज़ारों के मस्त मेले

ख़ामोशी तेरे बातों में, तेरे नजर की चमक में
लाख छुपाना मगर, मुझे है ये पता
नाराज़गी तेरे कदमों में, तेरे गरम सांसों में
दबाके रखना मगर, मुझे है ये एहसास

बहाना कोई लेकर फिर से बरस जाऊँ बरसात बनकर
साथ में ले आऊं, गरज की ताल और बिजली की लाल
तुझे रात की रानी बनाऊं
छोड़ के सारी मजबूरियां
करके एक दुजे के लबों के हवाले
सुनाऊं तुझे बीते किस्सों की बीती कहानियाँ

कहाँ से आऊंगा, कहाँ तुझे लेके जाऊँगा, नहीं ये पता हमें
मगर जहां भी लेके जाऊं, मुड़के कभी न देखेंगे, रस्ता और आफत