बस आंखों में देखते रहना हैं
अब और कुछ ना कहना है

देखी नहीं कहीं, काले घने भौहें तेरे जैसे
जो कभी ना बिछड़े, एक पल भी, एक दूसरे से

लगने लगा डर, कहीं फस ना जाये नजर, इन भौहें में
लफ्ज़ सभी मेरे, टुकड़ों में बिखर न जाएँ, कहीं कांप से

बस आंखों में देखते रहना हैं
इसके आस पास कहीं ना रुखना हैं

कोई शायर अगर, बेचैन फिरे हिलाली चाँद के इंतज़ार में
जो चमक लाये उसकी ग़ज़लों में, बस एक झलक पाए इस शबाब की बौहें की

कोई शूरवीर सिपाही अगर, व्याकुल रहे अपनी तलवार की चाप से
कैसे तेजी ले आये अपने तलवारबाजी में, बस एक झाँक लेले इस हुस्न की बौहें की

बस आंखों में देखते रहना हैं
इसके आस पास कहीं ना रुखना हैं

देखी नहीं कहीं, काले घने भौहें तेरे जैसे
जो मिले एक दूसरे से, हार बनाए हुए बाँहों की

पूछते हैं हम सब से, देखी अगर भौहें कहीं किसी ने ऐसे
किसी ने हैरत फ़रमाया, और किसी ने हमें पागल एलान किया

बस आंखों में देखते रहना हैं
अब और कुछ ना कहना है