जकड़ता रहा, सुलगता रहा, रिश्तों की आड़ में यूं ही टूटथा गया
बिछड़े सभी बारी बारी, मेरा प्याला तू अकेला साथ निभाता गया
Culture, Kavitha, Love, Shayri
Culture, Kavitha, Love, Shayri
जकड़ता रहा, सुलगता रहा, रिश्तों की आड़ में यूं ही टूटथा गया
बिछड़े सभी बारी बारी, मेरा प्याला तू अकेला साथ निभाता गया