कभी रुसवा, तो कभी करार
प्यार, तेरे हसीन जल्वों के, हम सभी हुए शिकार

तू जो रूठा, तो छोड़ चला राह ज़िन्दगी का
तू जो बेहका, तो पार चला राह शोलों का
बनते बनते, बिगड़ गए कितने ऐसे अफसाने
देखते देखते, बिछड़ गए कितने तेरे दिवाने

कभी रुसवा, तो कभी करार
प्यार, तेरे हसीन जल्वों के, हम सभी हुए शिकार

पाया जो तेरा पनाह, फ़िक्र रहा न बहार का, न तूफ़ान का
पाया जो तेरा खफा, फ़िक्र रहा, न दोस्त का, न दुश्मन का
पीते पीते, ये अश्क सभी, न बन जायेंगे दवा
जीते जीते, ये ज़ख्म सभी, न दे जायेंगे दुआ

कभी रुसवा, तो कभी करार
प्यार, तेरे हसीन जल्वों के, हम सभी हुए शिकार