जो निशाना बनकर खड़ा हो, वो तीर चलाना क्या जाने
जो ज़िन्दगी का शिकार हो, वो गद्दारी क्या जाने
Kavitha, Nature, Point of View, Shayri, Uncategorized
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जो निशाना बनकर खड़ा हो, वो तीर चलाना क्या जाने
जो ज़िन्दगी का शिकार हो, वो गद्दारी क्या जाने