करीब कितना भी आ जाये, एक दूरी फिर भी रह जाए
दूर कितना भी चले जाए, एक आरज़ू यूँही छेड़ता जाए
Kavitha, Love, Marriage, Shayri, Uncategorized
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करीब कितना भी आ जाये, एक दूरी फिर भी रह जाए
दूर कितना भी चले जाए, एक आरज़ू यूँही छेड़ता जाए