था ऐसा भी आलम, ख़याल-नुमा में सारा दिन ता गुज़र
अर्से हुए, न वो दिन करीब आया, न वो ख़याल
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था ऐसा भी आलम, ख़याल-नुमा में सारा दिन ता गुज़र
अर्से हुए, न वो दिन करीब आया, न वो ख़याल