मैं क़ैद हूँ, उन फुर्सत के लम्हों में
आज़ाद हूँ, इस कोरोना कि बदौलत, अपने घर कि चार दीवारों में
Analysis, Culture, Kavitha, Shayri, Uncategorized
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मैं क़ैद हूँ, उन फुर्सत के लम्हों में
आज़ाद हूँ, इस कोरोना कि बदौलत, अपने घर कि चार दीवारों में