निकला नहीं कोई भी एक टुकड़े में, दिल-ए-तबाही के लपेट से
मुर्दा भी अगर जिंदा हो के निकला हैं, तो सिर्फ इश्क़-ए-दिलदार के वार से
Kavitha, Love, Marriage, Shayri
Kavitha, Love, Marriage, Shayri
निकला नहीं कोई भी एक टुकड़े में, दिल-ए-तबाही के लपेट से
मुर्दा भी अगर जिंदा हो के निकला हैं, तो सिर्फ इश्क़-ए-दिलदार के वार से